जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता। - देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद।
अनमोल वचन
जीवन का कायाकल्प कर देने वाले अमोघ वचन जिन्हें पढ़कर निसंदेह जीवन की दिशा बदल जाए। यहाँ संकलित हैं महापुरुषों के प्रेरित करने वाले अनमोल वचन।

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स्वामी रामतीर्थ के अमर वचन - भारत-दर्शन संकलन

राष्ट्र देवो भव

मैं अनुभव करता हूँ कि मैं भारत हूँ — संपूर्ण भारत मैं हूँ। भारतभूमि मेरा अपना शरीर है। कुमारी अंतरीप मेरे चरण हैं। हिमालय मेरा शिर है। मेरे बालों से गंगा प्रवाहित होती है। मेरे शिर से ब्रह्मपुत्र और सिंधुनद बहते हैं। विंध्याचल मेरा कटिबंध है। कारोमंडल मेरी दाई और मालाबार मेरी बाई टाँग है। मैं संपूर्ण भारत हूँ । इसकी पूर्व और पश्चिम मेरी बाँहें हैं, जिन्हें मानवता को आलिंगन करने के लिए मैंने फैला रखा है।
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